अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: एकेडमिक लाइब्रेरीज़ में नवाचार का नया युग शुरू

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: एकेडमिक लाइब्रेरीज़ में नवाचार का नया युग शुरू

शैक्षणिक पुस्तकालयों में नवाचार और डिजिटल परिवर्तन: एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की कहानी

(फरीदाबाद न्यूज़) हाल ही में, फरीदाबाद में हुआ “इन्वोवेशन एंड डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन इन एकेडमिक लाइब्रेरीज़” विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में उभरा। यहां, शैक्षणिक पुस्तकालयों में डिजिटल परिवर्तन को गति देने के लिए करीब 150 विशेषज्ञों और विचारकों ने भाग लिया। यह सम्मेलन मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें डॉ. ओ.पी. भल्ला सेंट्रल लाइब्रेरी ने सहयोग दिया।

सम्मेलन का उद्देश्य

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विभिन्न उभरती तकनीकों के माध्यम से एकेडमिक लाइब्रेरीज़ को आधुनिक बनाना था। इनमें शामिल हैं:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
  • डेटा एनालिटिक्स
  • डिजिटल संरक्षण
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
  • स्मार्ट लाइब्रेरी सिस्टम

इन टॉपिक्स पर चर्चा करते हुए, विशेषज्ञों ने यह सुनिश्चित किया कि उच्च शिक्षा में डिजिटल परिवर्तन को प्राथमिकता दी जाए और आने वाली पीढ़ियों को सशक्त किया जाए।

सम्मेलन की महत्वपूर्ण बातें

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. मजहर आसिफ, कुलपति, जामिया मिलिया इस्लामिया ने भाग लिया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. देविका मडाली और प्रो. अजय प्रताप सिंह ने भी अपने विचार साझा किए।

इस कार्यक्रम में 60 से अधिक शोध पत्र एवं केस स्टडीज़ प्रस्तुत किए गए, जिसमें पुस्तकालय विज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी एवं शोध विधियों पर विभिन्न विचारों का आदान-प्रदान हुआ। संगोष्ठी के दौरान, चयनित शोध पत्रों को ‘ज्ञानकोश’ नामक पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित करने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।

एकेडमिक पुस्तकालयों का नया रूप

कार्यक्रम के दौरान, प्रो-वाइस चांसलर डॉ. नरेश ग्रोवर ने बताया कि आज के एकेडमिक पुस्तकालय केवल किताबों के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान और नवाचार के केंद्र हैं। इस सम्मेलन ने दर्शाया कि स्वतंत्र चित्त वाले विचारक और शोधकर्ता कैसे मिलकर शैक्षणिक पुस्तकालयों की भूमिका को और भी बेहतर बना सकते हैं।

भारत के शोध परिदृश्य में नवाचार

सम्मेलन का एक अन्य प्रमुख सत्र “वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन” पर आधारित था, जिसमें भारत के शोध का स्तर बढ़ाने की दिशा में बहस की गई। यह सत्र डॉ. सरिता सचदेवा ने संचालित किया, जिसमें एकेडमिक रिसर्च के साथ-साथ पुस्तकालयों की भूमिका पर चर्चा की गई।

यह सम्मेलन न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह विचारों के आदान-प्रदान का एक सशक्त मंच भी बन गया। शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार और अनुभव साझा करते हुए एक ऐसा वातावरण बनाया जिसमें नवाचारों को स्वीकारने की प्रवृत्ति बढ़ी।

इस सम्मेलन के माध्यम से, यह स्पष्ट हुआ कि एकेडमिक लाइब्रेरीज़ को डिजिटल परिवर्तन को अपनाते हुए अपने विकास को जारी रखना चाहिए, ताकि वे व्यापक समुदाय के लिए उपयोगी बन सकें। निस्संदेह, यह सम्मेलन शैक्षणिक पुस्तकालयों के भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।

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