जींद में बिजली निगम ने उपभोक्ता को भेजा 30 करोड़ का बिल, जानें पूरा मामला!

जींद में बिजली निगम ने उपभोक्ता को भेजा 30 करोड़ का बिल, जानें पूरा मामला!

जींद में 30 करोड़ का बिजली बिल: कारण और समाधान

हरियाणा के जींद में बिजली विभाग द्वारा एक उपभोक्ता को भेजा गया 30 करोड़ रुपए का बिजली बिल न केवल एक सामान्य गलती है, बल्कि यह बिजली निगम की प्रणाली में गंभीर लापरवाही को भी दर्शाता है। यह कहानी उन सभी के लिए एक जागरूकता का विषय है, जो बिजली कंपनियों के बिलों की जांच किए बिना भुगतान करते हैं।

क्या हुआ था?

जींद के निर्जन गांव के विजयपाल मघान के पेपर बोर्ड मिल को भेजा गया 30 करोड़ 1 लाख 85 हजार 505 रुपए का बिल देखकर उन्हें तो विश्वास ही नहीं हुआ। सामान्यतः उनका बिजली बिल 1.5 से 2 लाख रुपए के बीच आता है। ऐसे में यह अनियमितता न केवल विजयपाल के लिए चिंता का विषय थी, बल्कि यह उनके व्यवसाय के लिए भी बड़ा खतरा बन गई थी।

बिजली निगम की लापरवाही

जब विजयपाल ने इस बिल के बारे में बिजली विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्होंने यह कहते हुए जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया कि बिल “हासार” से जनरेट होता है और वे इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। इसके प्रमाण में, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के एसई मदनलाल ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी लेकिन अब वे इसकी जांच करेंगे।

आरटीआई का संदर्भ

इस पूरे मामले में एक अतिरिक्त पेच तब आता है जब विजयपाल के बेटे, एडवोकेट शिवम मघान ने 21 मई को एक आरटीआई दाखिल की। उन्होंने बिजली कनेक्शन से संबंधित कुछ सवाल किए, जिसमें यह भी शामिल था कि कनेक्शन कब इंस्टॉल किया गया था और इसकी कितनी सिक्योरिटी जमा की गई थी। परंतु, विजयपाल का मानना है कि इस आरटीआई का जवाब देने के बजाय, बिजली निगम ने जानबूझकर उन्हें परेशान करने के लिए 30 करोड़ रुपए का बिल भेजा।

समय की मांग: समाधान और सिफारिशें

यह मुद्दा न केवल विजयपाल के लिए, बल्कि सभी उपभोक्ताओं के लिए एक गंभीर विषय है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो बिजली कंपनियों और उपभोक्ताओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं:

  • बिल की उचित समीक्षा: उपभोक्ताओं को अपनी बिजली के बिल को हमेशा ध्यान से देखना चाहिए। अनियमितताओं का तात्कालिक उल्लेख करें।
  • आरटीआई का उपयोग: उपभोक्ता आरटीआई का उपयोग कर अपनी समस्याओं को सामने ला सकते हैं और स्थिति को पारदर्शी बना सकते हैं।
  • नियामक आयोग से संपर्क: यदि समस्या हल नहीं होती है, तो उपभोक्ता को बिजली नियामक आयोग से संपर्क करना चाहिए।

निष्कर्ष

जींद में भेजा गया 30 करोड़ का बिजली बिल केवल एक गड़बड़ी नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि उपभोक्ताओं को अपनी बिजली आपूर्ति और बिलिंग के प्रति सतर्क रहना चाहिए। बिजली निगमों को ऐसी घटनाओं से सीखने की आवश्यकता है, ताकि उपभोक्ताओं का विश्वास बना रहे। हमें आशा है कि विजयपाल का मामला तेजी से सुलझेगा और अन्य उपभोक्ताओं को ऐसे दुर्भाग्य से बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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