फाजिल्का स्कूल की लापरवाही: नॉन-टीचिंग स्टाफ क्यों था गायब?
शिक्षा विभाग की जांच में बड़ा खुलासा: फाजिल्का जिले के गांव बेरीवाला स्थित शहीद मलकीत सिंह (लाभ वाला) सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा की गई एक औचक जांच ने गंभीर लापरवाही को उजागर किया है। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान जब नॉन-टीचिंग स्टाफ की उपस्थिति अनिवार्य थी, तब पूरा स्कूल ताले में बंद मिला और किसी भी प्रकार का कर्मचारी परिसर में मौजूद नहीं था। यह स्थिति शिक्षा प्रणाली और उसकी नवीनीकरण की आवश्यकता को एक बार फिर से उजागर करती है।
औचक निरीक्षण का महत्व
फाजिल्का के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने सुबह 8:30 बजे स्कूल का अचानक निरीक्षण किया। स्कूल के गेट पर ताला लटका मिला और परिसर में कोई भी नॉन-टीचिंग स्टाफ उपस्थित नहीं था। यह केवल एक लापरवाही नहीं, बल्कि कानून और विभागीय आदेशों का खुला उल्लंघन था। गर्मियों की छुट्टियों में नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए विद्यालय में रहना आवश्यक होता है ताकि स्कूल की प्रशासनिक जिम्मेदारियों और रखरखाव कार्यों को सुचारू रूप से संचालित किया जा सके।
कारण बताओ नोटिस का महत्व
इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, जिला शिक्षा अधिकारी ने अनुपस्थित स्टाफ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्हें यह स्पष्ट आदेश दिया गया है कि वे फाजिल्का स्थित जिला शिक्षा कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। यदि कोई कर्मचारी अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं करता है, तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जिसमें तनख्वाह रोकना, चेतावनी पत्र देना और स्थानांतरण तक की अनुशंसा शामिल हो सकती है।
शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल
यह घटना न केवल विभागीय दिशा-निर्देशों की अवहेलना को दर्शाती है, बल्कि पूरे गांव में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाती है। अगर नॉन-टीचिंग स्टाफ अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटता है, तो स्कूल की आधारभूत सुविधाओं का संचालन कैसे होगा? यह बात महत्वपूर्ण है कि शिक्षा विभाग की नियमित निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाए। यहाँ कुछ सुझाव दिए गई हैं:
- नियमित निरीक्षण की प्रक्रिया को लागू करना।
- हर स्टाफ की उपस्थिति की डिजिटल मॉनिटरिंग प्रणाली विकसित करना।
- शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ के लिए सख्त नियम और दिशा-निर्देश बनाना।
- समुदाय को भी शिक्षण प्रक्रिया में शामिल करना।
संभावित कार्रवाई
जिला शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर संबंधित स्टाफ ने कोई उचित उत्तर नहीं दिया, तो विभागीय नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे एक्शन से यह भी संदेश मिलता है कि शासन के आदेशों का उल्लंघन सहन नहीं किया जाएगा।
अन्य स्कूलों के लिए चेतावनी
फाजिल्का के इस सरकारी स्कूल में हुई इस घटना ने शिक्षा विभाग को अन्य स्कूलों की भी जांच के लिए प्रेरित किया है। आने वाले दिनों में अन्य विद्यालयों में भी औचक निरीक्षण किए जाने की संभावना है। यह एक सख्त चेतावनी है कि नॉन-टीचिंग स्टाफ को छुट्टियों के दौरान भी विभागीय आदेशों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।
जिला शिक्षा अधिकारी का यह स्पष्ट संदेश है कि “शासन के आदेशों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हर कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वह विभागीय निर्देशों के अनुसार कार्यस्थल पर उपस्थित रहे।” यदि स्टाफ की अनुपस्थिति के कारण स्कूल की गतिविधियाँ प्रभावित होंगी, तो यह शिक्षा प्रणाली की नींव को कमजोर करेगा।