अमेरिका का नया रेमिटेंस टैक्स: भारतीय परिवारों पर पड़ेगा भारी बोझ!
यूएस इंडिया रेमिटेंस टैक्स: अप्रवासी भारतीयों के लिए बुरी खबर
हाल ही में अमेरिकन प्रतिनिधि सभा ने ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ पास किया है जिसमें रेमिटेंस पर 3.5% एक्साइज टैक्स लगाने का प्रस्ताव शामिल है। इस टैक्स का उद्देश्य मुख्य रूप से डिजिटल लेनदेन को नियंत्रित करना और अंतरराष्ट्रीय फंड प्रवाह पर निगरानी रखना है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो अमेरिका से भारत पैसा भेजना अप्रवासी भारतीयों के लिए अत्यधिक महंगा और बोझिल हो जाएगा।
कितना पड़ेगा टैक्स का बोझ?
इस प्रस्ताव के अनुसार, यदि कोई अप्रवासी अमेरिका से भारत 83,000 रुपये भेजता है, तो उसे लगभग 2,900 रुपये टैक्स के रूप में चुकाने होंगे। पहले इस टैक्स की दर 5% प्रस्तावित थी, लेकिन इसे घटाकर 3.5% किया गया है। यह टैक्स मौजुदा इनकम टैक्स के अतिरिक्त होगा और इसका असर एच-1बी, एल-1, एफ-1 वीजा और ग्रीन कार्ड धारकों पर हो सकता है।
भारत पर होगा बड़ा असर, प्रवासियों की चिंता बढ़ी
भारत दुनिया का सबसे बड़ा रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को अमेरिका से करीब 33 बिलियन डॉलर की रेमिटेंस प्राप्त हुई, जो कुल विदेशी रेमिटेंस का लगभग 28% है। ऐसे में टैक्स लागू होने से भारतीय परिवारों की आमदनी में कमी आ सकती है, जो इन पैसों पर अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए निर्भर करते हैं।
परिवारों की जीवनरेखा है रेमिटेंस
कई अप्रवासी भारतीयों के लिए अपने देश पैसा भेजना केवल लेन-देन नहीं बल्कि परिवार की आर्थिक स्थिरता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्रस्तावित टैक्स उन परिवारों की जिंदगी को प्रभावित कर सकता है जो शिक्षा, चिकित्सा, किराया और रोज़मर्रा की ज़रूरतें रेमिटेंस से पूरा करते हैं। ऐसे में ये परिवार फिर से सोचने को मजबूर हो सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय: कम बार में अधिक राशि भेजना फायदेमंद
वित्तीय विशेषज्ञों का सुझाव है कि अक्सर छोटे-छोटे अमाउंट में पैसे भेजने से बेहतर है कि कम बार बड़ी राशि भेजी जाए। इससे टैक्स की कटौती बार-बार नहीं होगी। लेकिन इससे भी रेमिटेंस की निर्भरता कम नहीं होगी। योजना बनाकर पैसा भेजना और खर्च करना अनिवार्य हो जाएगा।
टैक्स अभी लागू नहीं हुआ है
हालांकि यह टैक्स अभी लागू नहीं हुआ है, लेकिन चूंकि यह ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ का हिस्सा है, इसलिए इसके पारित होते ही लागू होने की संभावना बढ़ गई है।
वैश्विक स्तर पर होगा प्रभाव
विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैक्स केवल प्रवासी भारतीयों पर ही असर नहीं डालेगा, बल्कि मेक्सिको, फिलीपींस, नाइजीरिया जैसे विकासशील देशों पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा। इन देशों में रेमिटेंस विदेशी आय का एक बड़ा स्रोत है, और इसमें कमी आने से घरेलू खर्च, छोटे व्यवसाय और आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
छोटे व्यवसाय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर
रेमिटेंस से मिलने वाली रकम का उपयोग कई छोटे व्यवसायों, ग्रामीण निवेश और सामाजिक कल्याण योजनाओं में किया जाता है। टैक्स लागू होने की स्थिति में इस आर्थिक प्रवाह में रुकावट आ सकती है, जिससे ग्रामीण परिवारों और स्वरोजगार पर आश्रित नागरिकों की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि यह प्रस्तावित टैक्स लागू होता है, तो यह न केवल प्रवासी भारतीयों के लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बनेगा। आर्थिक स्थिरता के लिए रेमिटेंस की महत्वता को देखते हुए, हमें इस मुद्दे पर बारीकी से नज़र रखनी चाहिए।