चंडीगढ़ में 113 दिन की भूख हड़ताल का अंत, कर्मचारियों को मिलेगा भुगतान!
चंडीगढ़ नगर निगम के सीवर वर्करों का भूख हड़ताल: एक संघर्ष की कहानी
चंडीगढ़ में पिछले कुछ महीनों से नगर निगम के सीवर वर्करों ने भूख हड़ताल चला रखी थी। यह हड़ताल हालातों की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है, जहां श्रमिकों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा था और उनकी अन्य मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा था। उनकी हड़ताल 113 दिनों तक चली, लेकिन हाल ही में नगर निगम के माननीय चीफ इंजीनियर संजय अरोरा ने उनकी भूख हड़ताल समाप्त करवाई।
भूख हड़ताल का उद्देश्य
सीवरेज एम्पलाइज यूनियन के तहत हड़ताल का मुख्य उद्देश्य था:
- पिछले महीनों का वेतन: वर्करों को कई महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया था।
- पैंडिंग पीएफ: श्रमिकों का भविष्य निधि (पीएफ) भी लम्बे समय से अटका हुआ था।
- अन्य सुविधाएं: वर्दी, तेल, साबुन और रेन कोट जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग भी प्रमुख थी।
सीवरेज वर्करों के संघर्ष की भूमिका
भूख हड़ताल के दौरान, रैली और चर्चाओं का आह्वान किया गया था ताकि उनके मुद्दों के प्रति ध्यान आकर्षित किया जा सके। इस संघर्ष में उनके नेता सुरेश कुमार, सतिंदर सिंह, राकेश कुमार, और अन्य कई वर्कर शामिल रहे। उनके सामूहिक प्रयासों ने न केवल स्थानीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि आम जनमानस में भी इस मुद्दे को लेकर जागरूकता बढ़ाई।
माननीय चीफ इंजीनियर का आश्वासन
चीफ इंजीनियर संजय अरोरा ने भूख हड़ताल समाप्त करवाते समय श्रमिकों को एक महत्वपूर्ण आश्वासन दिया:
- सैलरी का भुगतान: उन्होंने वर्करों को भरोसा दिलाया कि उनकी पेंडिंग सैलरी जल्द ही रिलीज कर दी जाएगी।
- प्रभावी नीतियों का आश्वासन: भविष्य में वर्करों की सैलरी समय पर मिलेगी, इस पर भी ध्यान दिया जाएगा।
- अन्य सुविधाएं: रेगुलर वर्करों को पैंडिंग तेल, साबुन, वर्दी, और रेन कोट भी जल्द ही वितरित किया जाएगा। इसके अलावा, आउटसोर्स्ड वर्करों के लिए भी सुविधाओं का एजेंडा निगम हाउस में लाया जाएगा।
नगर निगम की गैर-संवेदनशील नीतियों पर सवाल
नगर निगम की यह नीतियां लंबे समय से संबंधित वर्करों के लिए चिंता का विषय रही हैं। उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करना और आवश्यक सुविधाओं का न मिलना एक गंभीर मुद्दा है, जिसे ठीक किए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि निगम भविष्य में ऐसे हालात पुनः उत्पन्न न हों।
निष्कर्ष
चंडीगढ़ में सीवर वर्करों का भूख हड़ताल केवल उनकी समस्या को ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण श्रमिक वर्ग की स्थिति को भी उजागर करता है। श्रमिकों की मेहनत और संघर्ष की कहानी ने हमें यह सिखाया है कि जब तक हम अपनी आवाज नहीं उठाते, हम अपने अधिकारों से वंचित रह सकते हैं। हम आशा करते हैं कि इस हार्दिक आंदोलन की सफलता से नगर निगम में सुधार आएगा, और वर्करों को समय पर उनका हक मिलेगा।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब श्रमिक एकजुट होते हैं तो वे अपने अधिकारों को प्राप्त कर सकते हैं। चंडीगढ़ के सीवरेज वर्करों का संघर्ष न только उनके लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायक है।