गुरुग्राम में किसानों के लिए उन्नत तकनीकी और जनकल्याणकारी योजनाओं की जागरूकता
गुरुग्राम में किसानों के लिए उन्नत कृषि तकनीकों की जागरूकता कार्यक्रम
गुरुग्राम: गुरुग्राम जिले में कृषि विज्ञान केंद्र, शिकोहपुर और कृषि विभाग के द्वारा संयुक्त रूप से “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत 15 दिवसीय कृषक प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों, सरकारी योजनाओं और सतत कृषि पद्धतियों का ज्ञान प्रदान करना है, ताकि उनकी आय और उत्पादकता में वृद्धि हो सके।
कार्यक्रम में किसानों का उत्साह
इस अभियान के तहत पटौदी, गुड्गांव और सोहना ब्लॉक के कई गांवों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजन किया गया। अलग-अलग गांवों में किसानों की व्यापक भागीदारी देखने को मिली, जो यह दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि जागरूकता की कितनी आवश्यकता और रुचि है।
साक्षात्कार और जागरूकता सत्र
कार्यक्रम के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र, शिकोहपुर के विशेषज्ञों ने निम्नलिखित विषयों पर जानकारी प्रदान की:
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन एवं परीक्षण
- खरीफ फसलों के लिए उन्नत उत्पादन तकनीकें
- संतुलित एवं मापित उर्वरक उपयोग का तरीका
- ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशक एवं उर्वरक छिड़काव
- फसल अवशेष प्रबंधन और जैविक खेती
- फसल बीमा एवं आपदा प्रबंधन जानकारी
सरकारी योजनाओं की जानकारी
डॉ. अनिल तंवर, कृषि विभाग के उपनिदेशक, ने बताया कि कार्यक्रम में हरियाणा राज्य सरकार के विभिन्न विभागों जैसे उद्यान, मत्स्य, और पशुपालन विभाग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। किसानों को अपने संबंधित विभागों की योजनाओं, सब्सिडी लाभ, ऋण सहायता एवं तकनीकी सहयोग के बारे में विस्तार से समझाया गया।
सतत कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना
इस जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य केवल किसानों को तकनीकी ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि वर्षा जल संचयन और सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को सीमित करने के लिए भी farmers को प्रेरित करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसान न केवल अपने कार्यों में सुधार करें, बल्कि पर्यावरण में भी योगदान दें, इसे प्राथमिकता दी गई है।
उपसंहार
कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो न केवल आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा भी है। ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से किसान बेहतर तकनीकों, सरकारी योजनाओं और सतत कृषि पद्धतियों के प्रति जागरूक हो रहे हैं, जो अंततः उनकी आय और जीवन स्तर में सुधार लाएगा। यदि यह कार्यक्रम इसी तरह चलता रहा, तो आने वाले समय में हमारे किसान और भी अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बन सकते हैं।