दिल्ली में बीयर की तलाश: भारतीय ब्रांड्स क्यों हुए खत्म?
दिल्ली के शराब प्रेमियों के लिए यह वक्त खासा निराशाजनक है। बीयर के ठेकों और बार में अब बीरा, टुबॉर्ग और किंगफिशर जैसी भारतीय ब्रांड्स की कमी महसूस की जा रही है। इसके बजाय, नेपाली और भूटानी बीयर प्रमुखता से ग्राहक को परोसी जा रही हैं। यह बदलाव न केवल स्थानीय उत्पादों की कमी को दर्शाता है, बल्कि दिल्ली के भारतीय बाजार पर विदेशी ब्रांड्स के बढ़ते प्रभाव को भी इंगित करता है।
बीयर प्रेमियों का नया विकल्प
जब बीयर की बात आती है, तो ग्राहकों की पसंद केवल स्वाद तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह ब्रांड की पहचान से भी जुड़ी होती है। लेकिन हाल के समय में, दिल्ली में भारतीय बीयर ब्रांड्स की अनुपलब्धता ने ग्राहकों को विदेशी विकल्पों की ओर धकेल दिया है। जैसे ही भारतीय ब्रांड्स की कमी हुई, दुकानदारों ने बेझिझक प्रतिद्वंद्वी विदेशों से आई बीयर की ओर रुख कर लिया।
नेपाली-भूटानी बीयर क्यों हो रही है हावी?
इस बदलाव की एक प्रमुख वजह हैं सरकारी नीतियों में खामी और आयात शुल्क में रियायत। भूटान और नेपाल से आने वाली बीयर को कोई आयात शुल्क नहीं देना पड़ता, जिससे इनकी लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है। ब्लूज़ ब्रूअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BAI) के महानिदेशक विनोद गिरी बताते हैं कि दिल्ली सरकार की वर्तमान नीतियों ने भारतीय ब्रांड्स को पीछे धकेल दिया है।
ग्राहक अब फरीदाबाद का रुख कर रहे हैं
दिल्ली में बीयर की कमी के कारण ग्राहक अब पड़ोसी राज्यों का रुख कर रहे हैं। जैसे IT प्रोफेशनल राजेश रंजन ने कहा, "अब मैं फरीदाबाद जाकर बीयर खरीदता हूं, क्योंकि दिल्ली में मनपसंद ब्रांड्स नहीं मिल रही।" यह स्थिति न केवल ग्राहकों के लिए समस्या है, बल्कि दिल्ली की स्थानीय ब्रांड्स के लिए भी खतरे की घंटी है।
आंकड़े क्या कहते हैं?
वित्त वर्ष 2023-24 में दिल्ली में बीयर की बिक्री में 37% गिरावट आई है, जबकि देश भर में बीयर की बिक्री में 10% की बढ़ोतरी हुई है। कुछ प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं:
- दिल्ली में भारतीय ब्रांड्स का मार्केट शेयर: 36%
- अन्य राज्यों में भारतीय ब्रांड्स का मार्केट शेयर: 85%
- नेपाली और भूटानी बीयर का मार्केट शेयर दिल्ली में: 32%
यह आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि दिल्ली में विदेशी ब्रांड्स ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
सरकार का पक्ष
दिल्ली सरकार का एक अधिकारी इस स्थिति की पुष्टि करते हुए बताते हैं कि ड्यूटी-फ्री होने के कारण विदेशी बीयर पर दुकानदारों को ज्यादा मुनाफा होता है। इसी कारण दुकानदारों को पहले स्थान पर इन्हीं ब्रांड्स को रखने के प्रोत्साहन दिए जाते हैं।
समाधान की दिशा में कदम
स्थिति सुधारने के लिए कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा। अन्यथा, दिल्ली के बीयर प्रेमियों को अपनी पसंदीदा भारतीय ब्रांड्स के लिए हमेशा पड़ोसी राज्यों का सहारा लेना पड़ेगा।
- नीति में बदलाव की आवश्यकता: भारतीय ब्रांड्स की उपलब्धता बढ़ाने के लिए नीतियों को संतुलित करना होगा।
- दुकानदारों की प्राथमिकता निश्चित करने के लिए नियमों का सख्ती से पालन: जिससे ग्राहकों को स्थानीय ब्रांड्स को खरीदने का मौका मिले।
दिल्ली के बीयर प्रेमियों की यह समस्या न केवल उनकी पसंद पर असर डाल रही है, बल्कि इसे हल करने के लिए एक सुनियोजित उपाय की आवश्यकता है। यदि सरकार और स्थानीय व्यवसाय मिलकर काम करें, तो भारतीय ब्रांड्स फिर से बाजार में अपनी पहचान बना सकते हैं।