दिल्ली में बुलडोजर एक्शन: सैकड़ों परिवार बेघर, क्या है सरकार की योजना?

दिल्ली में बुलडोजर एक्शन: सैकड़ों परिवार बेघर, क्या है सरकार की योजना?

दिल्ली में हाल ही में हुए बुलडोजर एक्शन ने शहर के कई इलाकों में हलचल मचा दी है। खासकर मद्रासी कैंप, गोविंदपुरी, तैमूर नगर, सीलमपुर, नंद नगरी और जंगपुरा जैसे इलाकों में बुलडोजर चलने से सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं। यह कार्रवाई दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और नगर निगम (MCD) द्वारा कोर्ट के आदेशों और शहरी विकास की नीतियों के तहत की जा रही है। इन कार्रवाइयों का मुख्य उद्देश्य अवैध अतिक्रमण हटाना, नालों की सफाई और सार्वजनिक रास्तों को मुक्त कराना है।

इस कार्रवाई के दौरान कई जगहों पर भारी पुलिस बल और पैरा मिलिट्री फोर्स तैनात रही। प्रशासन का कहना है कि अवैध झुग्गियों और निर्माणों को हटाने से शहर की सफाई, ट्रैफिक व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा में सुधार होगा। दूसरी ओर, प्रभावित परिवारों और स्थानीय लोगों में नाराजगी और चिंता भी देखी गई है। कई लोगों का कहना है कि उन्हें रहने के लिए वैकल्पिक घर नहीं मिला, जबकि सरकार का दावा है कि पात्र लोगों को नरेला और कालकाजी जैसे इलाकों में फ्लैट दिए गए हैं।

### बुलडोजर एक्शन की शुरुआत: क्या है मामला?

दिल्ली में बुलडोजर एक्शन अर्थात अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का चलाना, कई हफ्तों से चर्चा में है। प्रमुख इलाकों में मद्रासी कैंप, गोविंदपुरी, तैमूर नगर, सीलमपुर, नंद नगरी, बाबरपुर रोड और खजूरी शामिल हैं। यहां मुख्य रूप से झुग्गी-झोपड़ी, अवैध निर्माण, सड़क किनारे के स्टॉल, दुकानों के आगे बने चबूतरे और नालों पर बने घरों को हटाया गया।

प्रशासन के मुताबिक, यह कार्रवाई दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के बाद की गई है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि नालों की सफाई और जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए अवैध कब्जे हटाना आवश्यक है। इसके अलावा, सार्वजनिक रास्तों को अतिक्रमण मुक्त करना भी जरूरी है ताकि ट्रैफिक और पैदल यात्रियों को परेशानी न हो।

### प्रभावित परिवारों की स्थिति

– सैकड़ों परिवारों को एक ही दिन में बेघर होना पड़ा।
– कई लोगों को नरेला, कालकाजी जैसे दूरदराज इलाकों में फ्लैट दिए गए, लेकिन सभी को नहीं।
– बहुत से लोग अब भी अस्थायी तंबू या सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं।
– बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों और महिलाओं की सुरक्षा पर असर पड़ा है।

### प्रशासन का पक्ष

प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश और शहरी विकास की जरूरतों के तहत की गई है। पात्र परिवारों को पुनर्वास के तहत फ्लैट दिए गए हैं, और प्रशासन का मानना है कि अवैध कब्जों के हटने से नालों की सफाई, ट्रैफिक व्यवस्था और नागरिकों की सुरक्षा में सुधार होगा।

सुरक्षा व्यवस्था के तहत भारी पुलिस बल, पैरा मिलिट्री और रैपिड एक्शन फोर्स तैनात की गई थी। प्रशासन ने अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।

### विरोध और राजनीतिक दलों की भूमिका

विशेषकर आम आदमी पार्टी (AAP) और अन्य राजनीतिक दलों ने इस एक्शन का विरोध किया है। उनका कहना है कि चुनाव से पहले ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ का वादा किया गया था, लेकिन अब झुग्गियों को तोड़ा जा रहा है। कई जगहों पर स्थानीय लोग धरनों पर बैठे, और पुलिस ने उन्हें हटाया। कुछ लोगों का बयान है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के घर तोड़ना अमानवीय है।

### पुनर्वास और सरकारी योजनाएं

दिल्ली सरकार और DDA का दावा है कि 2015 से पहले रहने वाले परिवारों को पुनर्वास के तहत फ्लैट दिए गए हैं। कालकाजी एक्सटेंशन और नरेला जैसे इलाकों में EWS फ्लैट आवंटित किए गए हैं। हालांकि, कई परिवारों का कहना है कि उन्हें फ्लैट नहीं मिला या उनकी पात्रता की सूची में नाम नहीं है।

### निष्कर्ष: बुलडोजर एक्शन के प्रभाव

दिल्ली में बुलडोजर एक्शन का उद्देश्य शहरी व्यवस्था, सफाई और सुरक्षा में सुधार करना है। जबकि प्रशासन इसके सकारात्मक पक्षों को उजागर कर रहा है, प्रभावित परिवारों के लिए यह समय काफी मुश्किल है। सामाजिक संगठनों की मांगें और राजनीतिक दलों के आरोप इस मुद्दे को और जटिल बना रहे हैं।

आने वाले समय में यह देखना होगा कि प्रशासन पुनर्वास के मामलों को कितनी प्रभावी तरीके से सुलझाएगा और क्या यह कार्रवाइयाँ असल में नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाएंगी या केवल समस्याओं को बढ़ाएंगी।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *