चेक बाउंस: जानें इसे रोकने के उपाय और कानूनी प्रक्रिया!

चेक बाउंस: जानें इसे रोकने के उपाय और कानूनी प्रक्रिया!

बैंक चेक बाउंस: कारण, प्रक्रिया और निवारण

आज के समय में, चेक से भुगतान करना एक आम प्रथा है। चाहे व्यापार हो, व्यक्तिगत लेनदेन, या अन्य वित्तीय मामलों में, चेक का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। लेकिन कभी-कभी चेक बाउंस होने की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। चेक बाउंस तब होता है जब बैंक द्वारा किसी चेक का भुगतान नहीं किया जाता। इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम है खाते में पर्याप्त धनराशि का न होना। इसके आलावा, हस्ताक्षरों का मेल न खाना या चेक की वैधता समाप्त होना भी चेक बाउंस के महत्वपूर्ण कारण हैं।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

भारत में चेक बाउंस को कानूनी अपराध माना जाता है और इसके लिए सजा का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि चेक बाउंस होते ही तुरंत जेल की सजा नहीं दी जा सकती। चेक बाउंस के मामलों में आरोपी को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलता है। कई चरणों में कानूनी प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।

चेक जारी करते समय सावधानियां

जब आप किसी को चेक दे रहे हों, तो निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखें:

  • अपने बैंक खाते में पर्याप्त राशि मौजूद है या नहीं, इसकी जांच करें।
  • चेक पर सही तारीख और राशि लिखें।
  • अपने हस्ताक्षर सही तरीके से करें।
  • अपने बैंक स्टेटमेंट की नियमित रूप से जांच करें।

इन बुनियादी सावधानियों से आप चेक बाउंस की समस्या से बच सकते हैं।

चेक बाउंस होने पर कानूनी प्रक्रिया

चेक बाउंस होने पर पहली कार्रवाई चेक जारी करने वाले को कानूनी नोटिस भेजना होता है। यह नोटिस चेक बाउंस होने के 30 दिनों के भीतर भेजा जाना चाहिए। इसमें चेक की राशि का भुगतान करने के लिए 15 दिनों का समय दिया जाता है। यदि भुगतान इस अवधि में किया जाता है, तो मामला यहीं समाप्त हो जाता है।

यदि भुगतानी नहीं की जाती है, तो 30 दिनों के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज की जा सकती है। यह प्रक्रिया निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत की जाती है। अदालत शिकायत की जांच के बाद आरोपी को समन जारी करती है। ध्यान दें कि यह शिकायत पुलिस स्टेशन में नहीं, बल्कि अदालत में दर्ज की जाती है।

कानूनी सजा का प्रावधान

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के अनुसार, चेक बाउंस के मामले में दोषी को दो साल तक की कैद, चेक राशि से दोगुनी राशि का जुर्माना, या दोनों की सजा दी जा सकती है। अधिकतर मामलों में सजा छह महीने से एक साल तक की होती है। न्यायाधीश मामले की परिस्थितियों और आरोपी के आचरण को ध्यान में रखकर उचित सजा का निर्धारण करते हैं।

चेक बाउंस के सामान्य कारण

चेक बाउंस होने के कई आम कारण हैं, जैसे:

  • खाते में पर्याप्त धनराशि का न होना।
  • हस्ताक्षर मेल न खाना।
  • चेक पर तारीख न होना या गलत तारीख होना।
  • खाता बंद या फ्रीज होना।

बचाव के उपाय और सुझाव

चेक बाउंस से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:

  1. चेक जारी करने से पहले अपने खाते में पर्याप्त राशि सुनिश्चित करें।
  2. चेक पर सभी विवरण सही से भरें।
  3. यदि चेक के विवरण में कोई संशोधन करना हो तो उस पर हस्ताक्षर करें।
  4. अपने खाते की नियमित जांच करें।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी कानूनी सलाह या विवाद के लिए योग्य कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करना आवश्यक है।

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