अगर बीमा नहीं है तो भी मिलेगी सड़क हादसे में मुआवज़ा, जानें कैसे!
Motor Vehicles Act: जब परिवार का कमाने वाला सड़क हादसे में चला जाता है और उसके पास कोई बीमा नहीं होता, तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। आर्थिक तंगी ऐसी होती है कि घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीमा न होने पर भी परिवार को मुआवज़ा मिल सकता है? भारतीय कानून में इसके लिए साफ प्रावधान मौजूद हैं।
बीमा न होने पर भी कैसे मिलता है मुआवज़ा
उत्तर भारत के गांवों और कस्बों में बीमा की जागरूकता अब भी कम है। ऐसे में बिना इंश्योरेंस गाड़ी चलाने या जीवन बीमा के बिना जीने की प्रवृत्ति आम है। जब हादसा हो जाए और मौत हो जाए, तो परिवार खुद को पूरी तरह असहाय मान लेता है। मगर Motor Vehicles Act, 1988 ऐसे मामलों में वित्तीय राहत देने के लिए दो खास धाराएं देता है।
Motor Vehicles Act के दो सेक्शन – 163A और 166
- धारा 163A: इसमें “नो फॉल्ट क्लेम” का प्रावधान है। मतलब गलती किसकी थी, ये साबित करना जरूरी नहीं, बस ये दिखाना होता है कि हादसा हुआ और नुकसान हुआ।
- धारा 166: इसके तहत तभी मुआवज़ा मिलता है जब सामने वाले की गलती साबित हो। यानी पीड़ित परिवार को यह दिखाना होगा कि मौत किसी और की लापरवाही की वजह से हुई।
अगर मरने वाले के पास कोई बीमा नहीं था तो भी राहत
यह सवाल सबसे अहम है। लेकिन भारत में हर वाहन के लिए “थर्ड पार्टी इंश्योरेंस” अनिवार्य है। यानी अगर किसी गाड़ी से एक्सीडेंट हुआ है, तो भले ही मरने वाले का खुद का बीमा न हो, लेकिन गाड़ी के इंश्योरेंस से मुआवज़ा दिया जाएगा। इसलिए सड़क हादसे में सबसे जरूरी होता है यह देखना कि जिस वाहन से एक्सीडेंट हुआ है, उसका इंश्योरेंस वैध था या नहीं।
Hit-and-Run मामलों में भी मिलता है मुआवज़ा
अगर गाड़ी टक्कर मारकर भाग जाए और पहचानना भी संभव न हो, तो इसे Hit-and-Run केस कहा जाता है। पहले ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार के पास कोई विकल्प नहीं था, लेकिन 2022 में केंद्र सरकार ने Motor Vehicles Accident Fund योजना शुरू की।
- मृतकों के परिवार को ₹2 लाख मुआवज़ा
- गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को ₹50,000 मुआवज़ा
यह योजना खासतौर पर गरीब और ग्रामीण परिवारों के लिए बेहद फायदेमंद है।
बिना वकील के भी कैसे मिलेगा मुआवज़ा
Motor Accident Claims Tribunal (MACT) भारत में ऐसी विशेष अदालतें हैं जो सड़क दुर्घटना से जुड़े मुआवज़ा मामलों की सुनवाई करती हैं। यहां पीड़ित परिवार सीधे आवेदन दे सकता है, जहां हादसा हुआ या जहां परिवार रहता है।
अगर वकील का खर्च नहीं उठा सकते तो:
- सरकारी Legal Aid Services
- एनजीओ: ये संस्थाएं मुफ्त कानूनी सहायता देती हैं, फॉर्म भरने से लेकर केस लड़ने तक।
MACT अदालत पूरे सबूतों की जांच करती है और बीमा कंपनी या सरकार को मुआवज़ा देने का आदेश देती है।
सड़क हादसे में न्याय भी उतना ही ज़रूरी है, जितना दुख का सामना
आज तेज रफ्तार गाड़ियों के बीच सड़कें असुरक्षित होती जा रही हैं। चाहे हादसा किसी शहर में हो या गांव में, चाहे मरने वाले का बीमा हो या न हो – Motor Vehicles Act के तहत हर पीड़ित परिवार को न्याय और राहत पाने का हक है।
अगर आप या आपके जानने वालों के साथ ऐसा हादसा हुआ है, तो घबराएं नहीं – थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, MACT अदालतें और सरकारी योजना आपके साथ हैं। जागरूक बनें, अधिकार जानें और समय रहते आवेदन करें।