हिमाचल प्रदेश में 103 स्कूल होंगे बंद, जानें क्यों और क्या होगा आगे!

हिमाचल प्रदेश में 103 स्कूल होंगे बंद, जानें क्यों और क्या होगा आगे!

शिक्षा में सुधार के लिए नई पहल: हिमाचल प्रदेश में स्कूलों का समर्पण

हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो राज्य के शिक्षा तंत्र को नया रूप देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। शिक्षा निदेशालय ने उन स्कूलों की पहचान की है, जहाँ छात्रों की संख्या अत्यधिक कम है या बिल्कुल भी नहीं है। इस नई योजना के तहत, उन स्कूलों को बंद करने या निकटवर्ती विद्यालयों में मर्ज करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह कदम शिक्षा के संसाधनों के सही उपयोग और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया जा रहा है।

शून्य दाखिलों वाले 103 स्कूल होंगे बंद

हालिया आंकड़ों के अनुसार, 21 अप्रैल 2025 तक 103 स्कूल ऐसे पाए गए हैं जहाँ एक भी छात्र का दाखिला नहीं है। इनमें शामिल हैं:

  • 72 प्राइमरी स्कूल
  • 28 मिडल स्कूल
  • 3 हाई स्कूल

इन स्कूलों को ‘डी-नोटिफाई’ कर बंद करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिससे संसाधनों की बर्बादी रोकी जा सके और शिक्षा बजट का प्रभावी उपयोग हो सके।

छात्रों की संख्या 10 या उससे कम वाले स्कूलों का मर्जिंग

103 स्कूलों के अतिरिक्त, 443 और स्कूल ऐसे हैं, जहाँ 10 या उससे कम छात्र नामांकित हैं। इन स्कूलों को आसपास के स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया गया है। इसके पीछे के लक्ष्य निम्नलिखित हैं:

  • छात्रों को बेहतर आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना
  • शिक्षकों की तैनाती को प्रभावी बनाना
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना

इस प्रक्रिया में 2 से 5 किलोमीटर के भीतर स्थित स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी।

प्राथमिक स्कूलों पर विशेष ध्यान

प्रस्ताव में प्राथमिक शिक्षा से संबंधित एक योजना बनाई गई है। 203 प्राइमरी स्कूलों में 5 या उससे कम छात्र हैं। इन्हें 2 किलोमीटर के दायरे में स्थित अन्य स्कूलों में मर्ज करने की सिफारिश की गई है। लेकिन 142 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहाँ 2 किलोमीटर के भीतर कोई अन्य स्कूल नहीं है, इसलिए इन्हें 3 किलोमीटर तक के विद्यालयों से जोड़ा जाएगा।

मिडल और हाई स्कूलों पर भी असर

मिडल और हाई स्कूलों में भी छात्र संख्या कम हो रही है। 92 मिडल स्कूलों में 10 या उससे कम छात्र हैं, जिन्हें 3 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। वहीं, हाई स्कूलों में:

  • 7 हाई स्कूलों में छात्रों की संख्या 20 से कम है
  • 39 हाई स्कूलों में 5 से 10 छात्र नामांकित हैं

इनमें से कई का दर्जा घटाकर मिडल स्कूल में बदलने की योजना है।

लड़के और लड़कियों के अलग स्कूलों का मर्जिंग

राज्य की शिक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के अन्य पहलुओं में लड़के और लड़कियों के अलग-अलग स्कूलों को मिलाकर सह-शिक्षा स्कूलों में परिवर्तित करना भी शामिल है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और शिक्षण सुविधाओं का एकीकरण करना है।

छात्रों को नए स्कूलों में शिफ्ट करने की योजना

सरकार की योजना है कि जिन स्कूलों को बंद या मर्ज किया जाएगा, वहां पढ़ रहे छात्रों को नजदीकी स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। इसके लिए भौगोलिक दूरी, सुविधाएँ और यातायात की स्थिति का ध्यान रखा जाएगा।

संक्षेप में, शिक्षण तंत्र में सुधार करने के फायदे और चुनौतियाँ

इस निर्णय से संसाधनों की बचत और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है, लेकिन यह भी सच है कि कई स्थानीय लोग इस बदलाव से असंतुष्ट हो सकते हैं। खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ स्कूल बंद होंगे और विकल्प सीमित होंगे।

संभावित फायदे:

  • शिक्षकों की प्रभावी तैनाती
  • उन्नत शिक्षण सुविधाओं तक पहुंच
  • लैंगिक समानता को प्रोत्साहन
  • शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार

संभावित चुनौतियाँ:

  • दुर्गम इलाकों में छात्रों की स्कूल तक पहुंच
  • समुदाय का भावनात्मक जुड़ाव बंद हो रहे स्कूलों से
  • आवागमन की समस्याएँ और अतिरिक्त लागत

यह प्रस्ताव अब सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है, और इसे जल्द ही मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तुत किया जा सकता है। शिक्षा में इस प्रकार के सुधार वाकई में महत्वपूर्ण हैं, और इसे लागू करने की प्रक्रिया में सरकार को अभी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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