मोदी सरकार के 11 साल: हिंदुत्व और नव राष्ट्रवाद का अनोखा सफर
हिंदुत्व का दांव: मोदी सरकार के 11 वर्ष का अनुभव
भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले 11 वर्षों में हिंदुत्व की विरासत को वापस लाने और उसे स्थापित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस समय में, मोदी ने यह संदेश देने में सफलता प्राप्त की कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए वे प्रतिबद्ध हैं।
राम मंदिर: एक ऐतिहासिक मील का पत्थर
अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना को इस नई दिशा में सबसे बड़े क्षणों में से एक माना जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि Hindutva नवजागरण की प्रतीक भी है। जब इस मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, तब मोदी जी को इसका पूरा श्रेय मिला और इसे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा गया। अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना ने न केवल धार्मिक भावना को जगाया, बल्कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा के लिए एक बड़ी चुनावी जीत का आधार भी बना।
नव राष्ट्रवाद का उभार
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में नव राष्ट्रवाद के उभार को भी एक महत्वपूर्ण आयाम दिया है। इसकी झलक हमें कई नीतियों और पहलों में देखने को मिली है। मोदी ने राष्ट्रवाद को अपने राजनीतिक एजेंडे का एक महत्वपूर्ण तत्व बनाया है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर
- सैन्य बलों की सशक्तीकरण
- धार्मिक एवं सांस्कृतिक एकता की भावना
इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, यह कहना उचित होगा कि मोदी की दुंदुभी के चलते भाजपा ने राष्ट्रवाद के मुद्दों का इस्तेमाल कर चुनावी सफलता हासिल की है।
नई वोटबैंक की स्थापना
प्रधान मंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान एक ऐसा लाभार्थी वर्ग तैयार किया है, जो हर स्थिति में उनके साथ खड़ा रहा। यह वर्ग विभिन्न जातियों से बना है और इसे मोदी सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जोड़ने में सफलता प्राप्त की है। कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:
- उज्ज्वला योजना
- आवास योजना
- फ्री राशन योजना
इन योजनाओं ने मोदी सरकार को नए वोट बैंक बनाने में मदद की, जिससे पार्टी ने चुनावी गणित में एक महत्वपूर्ण संतुलन बनाया। इसका परिणाम भाजपा की चुनावी जीत में स्पष्ट रूप से देखा गया है।
मोदी का टारगेट: प्रभावी सियासती बयानदारी
मोदी सरकार के 11 वर्षों में, एक बात स्पष्ट है कि उन्होंने अपने लक्ष्यों को साधने के लिए प्रभावी रूप से सियासी रणनीतियों का उपयोग किया है। उन्होंने राजनीतिक संवाद को लोकप्रिय बनाने की दिशा में काम किया है और अपने कार्यों के माध्यम से लोगों को जोड़ा है। यह बात सच है कि उनके नेतृत्व में भाजपा ने कई बार बहुसंख्यक समुदाय का सजग रहकर लाभ उठाया है।
इन सभी बातों को संक्षेप में कहें तो, मोदी सरकार का हिंदुत्व का दांव पिछले 11 वर्षों में सफलतापूर्वक खेला गया है। इसकी कई सफलताएँ और चुनौतियाँ हैं, लेकिन मुख्यधारा की राजनीति में हिंदुत्व की वापसी एक महत्वपूर्ण घटना है। इसने न केवल सत्ता के खेल को बदल दिया है, बल्कि समाज में भी गहरी छाप छोड़ी है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे चलकर मोदी सरकार इस विरासत को और कैसे आगे बढ़ाती है और भारत की सांस्कृतिक पहचान को कैसे और भी मजबूती प्रदान करती है।
Thank you for reading this post, don’t forget to subscribe!