कोटा बैंक फ्रॉड: महिला मैनेजर ने ग्राहकों के 4.58 करोड़ रुपये उड़ाए!
कोटा शहर में हाल ही में एक ऐसा बैंक फ्रॉड सामने आया जिसने सभी को चौंका दिया। राजस्थान के कोटा जिले के श्रीराम नगर स्थित एक निजी बैंक में महिला रिलेशनशिप मैनेजर ने दो साल से ज्यादा वक्त तक ग्राहकों के खातों से करोड़ों रुपये निकाल लिए। इस बड़े घोटाले ने बैंकिंग सेक्टर में सुरक्षा और विश्वास पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस केस में बैंक के बुजुर्ग और डिजिटल जानकारी से दूर ग्राहक सबसे ज्यादा शिकार बने।
धोखाधड़ी की शुरुआत वर्ष 2020 में हुई और यह 2023 तक चली। बैंक मैनेजर साक्षी गुप्ता ने करीब 43 ग्राहकों के 110 खातों से लगभग 4.58 करोड़ रुपये निकाल लिए। इन पैसों को शेयर बाजार में निवेश किया गया, लेकिन वहां भारी नुकसान हुआ। यह मामला तब सामने आया जब एक बुजुर्ग महिला के खाते से अचानक 3.22 करोड़ रुपये गायब हो गए और बैंक मैनेजर को इसकी जानकारी मिली। इसके बाद बैंक ने जांच कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है।
जानकारी | विवरण |
फ्रॉड का नाम | Kota Bank Manager Fraud |
बैंक शाखा | श्रीराम नगर, कोटा (ICICI Bank) |
आरोपी का नाम | साक्षी गुप्ता (महिला रिलेशनशिप मैनेजर) |
कुल रकम | लगभग 4.58 करोड़ रुपये |
पीड़ित ग्राहक | 43 (110 खाते) – अधिकतर बुजुर्ग |
धोखाधड़ी का समय | 2020 से 2023 (करीब ढाई साल) |
तरीका | मोबाइल नंबर, पिन, ओटीपी बदलकर, एफडी तोड़कर, शेयर बाजार में निवेश |
गिरफ्तारी | 31 मई 2023, पुलिस रिमांड और न्यायिक हिरासत |
खुलासा | बैंक मैनेजर की सतर्कता और ग्राहक की शिकायत से |
बैंक की कार्रवाई | आरोपी सस्पेंड, ग्राहकों के दावे निपटाए |
कोटा बैंक फ्रॉड क्या है?
कोटा बैंक फ्रॉड एक बड़ा बैंकिंग घोटाला है जिसमें एक महिला बैंक मैनेजर ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए ग्राहकों के खातों से करोड़ों रुपये निकाल लिए। यह धोखाधड़ी दो साल से ज्यादा चली और बैंक के सिस्टम को इसकी भनक तक नहीं लगी। आरोपी ने ग्राहकों के मोबाइल नंबर और ओटीपी बदल दिए, जिससे किसी को ट्रांजेक्शन का पता नहीं चला।
इस केस में आरोपी ने 31 ग्राहकों की एफडी समय से पहले तुड़वाकर 1.34 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। साथ ही, 3.40 लाख का फर्जी पर्सनल लोन भी निकाला गया। बैंक की सतर्कता और एक बुजुर्ग महिला की शिकायत के बाद ही यह मामला उजागर हुआ।
धोखाधड़ी की प्रक्रिया
महिला बैंक मैनेजर ने ग्राहकों के खातों से पैसे निकालने के लिए अपने कुत्सित इंगेजमेंट का तरीका अपनाया:
- मोबाइल और ओटीपी बदलने की प्रक्रिया: ग्राहकों के मोबाइल नंबर बदले गए, जिससे ट्रांजेक्शन अलर्ट रोक दिए गए।
- पूल अकाउंट का उपयोग: जिन खातों में बड़ी रकम थी, उन्हें ‘पूल अकाउंट’ के रूप में इस्तेमाल किया गया।
- डेबिट कार्ड, पिन और ओटीपी का दुरुपयोग: पैसे ट्रांसफर करने के लिए इनका गलत इस्तेमाल हुआ।
- फर्जी लोन निकालना: 3.40 लाख का फर्जी लोन निकाला गया।
- बुजुर्ग ग्राहकों को निशाना बनाना: अधिकतर प्रभावित ग्राहक बुजुर्ग थे, जिनकी डिजिटल जानकारी कम थी।
पुलिस और बैंक की कार्रवाई
इस मामले की गहनता से जांच हुई थी जब बैंक मैनेजर तरुण दाधीच ने इसके बारे में सबसे पहले गड़बड़ी पकड़ी और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने साक्षी गुप्ता को रावतभाटा से गिरफ्तार किया। एक दिन की पुलिस रिमांड के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बैंक ने आरोपी को सस्पेंड कर दिया और ग्राहकों के दावे निपटाए।
अपने बैंक खातों की सुरक्षा कैसे करें?
बैंक फ्रॉड के संभावित खतरे से बचने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं:
- रेगुलर जांच करें: अपने बैंक खाते का समय-समय पर निरीक्षण करें।
- सुरक्षा विवरण अपडेट करें: अपनी मोबाइल संख्या और ईमेल आईडी को हमेशा अपडेट रखें।
- सतर्क रहें: किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर तुरंत सतर्क हो जाएं।
- ओटीपी और पासवर्ड: कभी भी किसी को भी अपना ओटीपी, पिन या पासवर्ड न बताएं।
कोटा बैंक फ्रॉड का असर
इस धोखाधड़ी ने बैंकिंग प्रणाली पर लोगों का विश्वास कमजोर किया है, विशेषकर बुजुर्ग ग्राहकों में। इसने बैंकिंग प्रणाली में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है।
निष्कर्ष:
कोटा बैंक फ्रॉड ने सबको यह सिखाया कि बैंकिंग सिस्टम में भरोसा तो आवश्यक है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है सतर्क रहना। डिजिटल युग में प्रत्येक ग्राहक को अपने बैंक खाते की सुरक्षा खुद करनी चाहिए।
डिस्क्लेमर:
यह लेख कोटा बैंक फ्रॉड की घटना पर आधारित है। यहाँ दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस जांच पर आधारित है। अगर आपके साथ भी ऐसा कोई फ्रॉड होता है तो तुरंत बैंक और पुलिस में शिकायत करें।