मलविंदर कंग का भाजपा नेता बिट्टू पर तीखा हमला, निजी हितों का लगाया आरोप
पंजाब की राजनीति में चल रहा सियासी भंवरा
जैसे-जैसे लुधियाना पश्चिमी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, पंजाब की राजनीति में हलचल देखने को मिल रही है। हाल ही में आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद मलविंदर कंग ने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू पर तीखा हमला बोलते हुए उन पर निजी हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। कंग का यह बयान पंजाब की सियासत को और भी गरमाता हुआ नजर आ रहा है।
कंग का बिट्टू पर सीधा आरोप
मलविंदर कंग ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा, “क्या पंजाब भाजपा अपने केंद्रीय नेतृत्व से निर्देश नहीं लेती?” उन्होंने यही नहीं, बल्कि ये भी कहा कि बिट्टू ने अपने निजी लाभ के लिए पार्टी चुनने में पंजाब के हितों को नजरअंदाज किया है। उनके आरोप के अनुसार, बिट्टू ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया बस इसलिए कि उन्हें राज्यसभा की सीट मिल सके।
भाजपा की नीतियों पर उठाए सवाल
कंग ने आगे कहा कि भाजपा की नीतियों में पंजाब के साथ लगातार भेदभाव होता रहा है। उन्होंने निम्नलिखित मुद्दों पर बिट्टू की चुप्पी की आलोचना की:
- पंजाब विश्वविद्यालय को कमजोर करने के प्रयास
- सीनेट चुनावों का न होना
- पंजाब के फंड जारी करने में देरी
कंग ने यह भी आरोप लगाया कि जब भी पंजाब के अधिकारों पर चोट आई, बिट्टू चुप ही रहे। उनका कहना था कि बिट्टू की चुप्पी उनकी पार्टी के अन्यायों को छिपाने के लिए है।
पंजाब के हितों की अनदेखी
कंग का कहना है कि भाजपा की केंद्र सरकार ने पंजाब की जरूरतों को नजरअंदाज किया है, जैसे:
1. सिख जजों की न्यायिक नियुक्तियों में देरी
2. किसानों के आंदोलन में भाजपा का निश्चल रहना
3. युवाओं के रोजगार की संभावनाओं पर आघात
उनके अनुसार, जब ऐसे मुद्दों पर बात उठाने का समय आया, बिट्टू ने अपनी आवाज उठाना उचित नहीं समझा, जबकि वे खुद भाजपा की प्राथमिकताओं का आनंद ले रहे हैं।
राजनीति में बढ़ती तकरार
मलविंदर कंग और रवनीत बिट्टू के बीच यह तकरार केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि यह पंजाब की व्यापक राजनीति का एक हिस्सा है। कई राजनीतिक विश्लेषक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जब भाजपा का मुद्दा सामने आता है, तो किस तरह से यह पंजाब के विकास और स्थानीय मुद्दों को प्रभावित कर रहा है। कंग के आरोप से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले चुनावों में भाजपा के सदस्यों के लिए अपने दावों और वादों को पूरा करना कितना महत्वपूर्ण होगा।
हालाँकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोपों का पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा और क्या आम आदमी पार्टी इस मौके का लाभ उठाकर अपनी सियासत को मजबूत कर पाएगी।
निष्कर्ष
राजनीति हमेशा से ही संदिग्ध और जटिल हुई है। मलविंदर कंग के आरोप इस बात की पुष्टि करते हैं कि राजनीतिज्ञों के लिए अपने व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देने की एक दीर्घकालिक प्रवृत्ति रही है। लुधियाना पश्चिमी विधानसभा चुनाव इस प्रवृत्ति को बदलने का एक अवसर हो सकता है, या फिर यह सब कुछ वही पुरानी राजनीति बनकर रह जाएगा।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा अपने भीतर की उठापटक से कैसे निपटती है और आने वाले दिनों में पंजाब कैसे अपनी राजनीतिक दिशा तय करता है।