समाधान शिविर में सभी विभागाध्यक्षों की अनिवार्य उपस्थिति, वरना होगी कार्रवाई!
समाधान शिविर: नगराधीश ने विभागाध्यक्षों की उपस्थिति पर दिया जोर
(चरखी दादरी) – नगराधीश जितेंद्र कुमार द्वारा प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को आयोजित किए जाने वाले समाधान शिविर की महत्ता पर बल दिया गया है। इस शिविर का उद्देश्य आम लोगों की समस्याओं का निवारण करना है, ताकि लोग सीधे अपने मुद्दों को अधिकारियों के समक्ष रख सकें।
समाधान शिविर का महत्व
समाधान शिविर का आयोजन स्थानीय प्रशासन के द्वारा किया जाता है ताकि नागरिकों की समस्याओं का तत्काल समाधान किया जा सके। नगराधीश ने कहा कि:
- यह शिविर जनसुविधा के लिए महत्वपूर्ण है।
- सभी विभागों के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से समस्याओं का समाधान करेंगे।
- इसमें समय सीमा के भीतर समस्याओं का निवारण किया जाएगा।
विभागाध्यक्षों की अनिवार्य उपस्थिति
नगराधीश के अनुसार, सभी विभागाध्यक्षों की उपस्थिति शिविर में अनिवार्य है। यदि कोई विभागाध्यक्ष उपस्थित नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ मुख्यालय को रिपोर्ट की जाएगी। यह आदेश विशेष रूप से निम्नलिखित विभागों के लिए लागू है:
- पंचायत विभाग
- बिजली विभाग
- राजस्व विभाग
- सिंचाई विभाग
समस्याओं का त्वरित समाधान
नगराधीश ने निर्देशित किया है कि:
- अवैध कब्जों और अतिक्रमण पर त्वरित कार्रवाई की जाए।
- सफाई व्यवस्था, खालों का निर्माण और विभिन्न प्रमाण-पत्रों से संबंधित शिकायतों पर तात्कालिक ध्यान दिया जाए।
- शिकायतों का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, अधिकारियों को प्रतिदिन समस्या समाधान की प्रगति पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि नगराधीश कार्यालय को निरंतर रिपोर्ट भेजी जा सके।
नागरिकों के लिए एक सशक्त माध्यम
नगराधीश का मानना है कि यह समाधान शिविर आम जनता की समस्याओं को हल करने का एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। शहर की समस्याओं को सुलझाने के लिए इस प्रकार के शिविर महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। इससे न केवल प्रशासन और नागरिक के बीच संवाद बढ़ता है बल्कि समस्या समाधान प्रक्रिया भी तेज होती है।
निष्कर्ष
समाधान शिविर केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह नागरिकों और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का काम करता है। नगराधीश जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में अफसरों की कार्रवाई और दी जाने वाली प्राथमिकता नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगी। इसी क्रम में यह अपेक्षित है कि सभी विभागाध्यक्ष शिविर में उपस्थित रहकर अपनी जिम्मेदारियों का सही प्रबंधन करें।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि समाधान शिविरों का संचालन न केवल लोक सेवा का एक सशक्त उदाहरण है, बल्कि यह नागरिकों के लिए विश्वास और अपेक्षाओं को भी बढ़ाता है। अतः, हम सबको इस प्रक्रिया का समर्थन करना चाहिए और इसमें सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।