मनीष सिसोदिया से एसीबी की 3 घंटे पूछताछ: 2000 करोड़ का कक्षागृह घोटाला!
मनीष सिसोदिया और कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार का मामला: क्या है सच?
Classroom Construction Graft Case, (आज समाज), नई दिल्ली: हाल ही में, दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कथित 2,000 करोड़ रुपए के कक्षाओं के निर्माण में भ्रष्टाचार के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के समक्ष पेश होना पड़ा। इस मामले में उनकी पूछताछ लगभग तीन घंटे तक चली, जो राजनीतिक हलकों में काफी चर्चित रही।
क्या है मामले की पृष्ठभूमि?
एसीबी ने 30 अप्रैल को इस घोटाले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं और भवनों के निर्माण में अनियमितताएँ हुई हैं। यह मामला तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब हम ध्यान दें कि मनीष सिसोदिया के पास वित्त और शिक्षा विभागों का प्रभार था, जबकि उनके सहयोगी सत्येंद्र जैन लोक निर्माण विभाग का संचालन कर रहे थे। इस प्रकार की उच्च स्तर की जिम्मेदारी के चलते, आरोपों की गंभीरता बढ़ जाती है।
पूछताछ का विवरण
सिसोदिया सुबह 11 बजे उत्तरी दिल्ली के विकास भवन स्थित एसीबी कार्यालय पहुँचे, जहां अधिकारियों ने उनसे विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। एसीबी ने विशेष रूप से धन के वितरण पर जोर दिया और जानना चाहा कि किस प्रकार से बजट का प्रबंधन किया गया।
पिछले दिनों, सत्येंद्र जैन को भी इस मामले में एसीबी के समक्ष बुलाया गया था, जहां पांच घंटे की लंबी पूछताछ के बाद उन्हें ज्यादा जानकारी दी गई थी। दोनों नेताओं का आपस में जुड़ाव और उच्च प्रशासनिक क्षमता उनके खिलाफ आरोपों को और भी गंभीर बनाता है।
राजनीतिक संदर्भ
सिसोदिया ने 9 जून को पेश होने के लिए समन मिला था, लेकिन उन्होंने कुछ पूर्व राजनीतिक व्यस्तताओं का हवाला देकर और समय मांगा। इसके बाद, एसीबी ने उन्हें फिर से 20 जून को पेश होने का आदेश दिया। यह घटना दिल्ली की राजनीति में गहरे प्रभाव डालने वाली मानी जा रही है, जिसके चलते आम आदमी पार्टी (आप) और अन्य राजनीतिक दलों के बीच टकराव की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।
भविष्य में क्या हो सकता है?
दिल्ली की राजनीति में यह मामला न केवल सिसोदिया और जैन के लिए, बल्कि आम आदमी पार्टी के लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो इससे पार्टी की छवि को भारी नुक़सान पहुँच सकता है। इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस स्थिति का कैसे सामना करती है।
निष्कर्ष: मनीष सिसोदिया के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के इस मामले ने न केवल स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि इससे आम जनता में भी उथल-पुथल पैदा की है। अब यह देखना है कि क्या सिसोदिया और उनकी टीम इन आरोपों का सामना कर पाती है या नहीं।
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