बिहार में अभिभावकों के लिए विशेष PTM: जानें कैसे बदलेंगी बच्चों की पढ़ाई!
Parent Teacher Meeting 2025: बिहार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में छात्रों की शिक्षा को बेहतर बनाने और अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। 31 मई 2025 को राज्य के सभी प्राथमिक, मध्य, उच्च, और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में एक विशेष Parent-Teacher Meeting (PTM) का आयोजन किया जाएगा। इस बैठक का मकसद अभिभावकों के साथ शिक्षकों की मजबूती से साझेदारी करना है, जो छात्रों की शिक्षा में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
‘पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे हम’ है इस अभियान का मूल मंत्र
इस मीटिंग का थीम ‘पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे हम’ रखा गया है। यह थीम न केवल छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच सार्थक संवाद को बढ़ावा देगी, बल्कि यह माता-पिता और शिक्षकों को एक मंच पर ले आएगी, जहाँ वे बच्चों की शैक्षणिक प्रगति, अनुशासन, होमवर्क की स्थिति, पाठ्यपुस्तक वितरण और स्कूल वातावरण पर चर्चा कर सकेंगे। नवीनतम तरीकों के जरिए संवाद का यह नया फॉर्मेट सरकारी स्कूलों में भी निजी स्कूलों जैसी सक्रियता फले-फूलेगा।
शिक्षा विभाग का निर्देश
बिहार के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई को छुट्टियों में निरंतर बनाए रखने के तरीके बताएं। अप्रैल से मई तक पढ़ाए गए पाठों की दोहराई और अभ्यास पुस्तिकाओं को दोबारा हल करने की सलाह दी गई है। यह शिक्षा का एक ऐसा पहलू है जो बच्चों की शिक्षा को स्थायी बनाए रखेगा।
घर में बनाएं ‘स्टडी कॉर्नर’, पढ़ाई का बने माहौल
अभिभावकों को सुझाव दिया गया है कि वे अपने घर पर एक ‘स्टडी कॉर्नर’ बनाएं। इस कोने में बच्चों के बैठने की व्यवस्था, शैक्षणिक सामग्री, एक दैनिक रूटीन चार्ट और सकारात्मक माहौल सुनिश्चित किया जाए। इसके जरिए बच्चों को एक नियमित पढ़ाई की आदत विकसित करने में मदद मिलेगी।
ई-शिक्षाकोष पर होमवर्क उपलब्ध, शिक्षक कराएंगे मार्गदर्शन
SCERT द्वारा निर्धारित होमवर्क को e-शिक्षाकोष पर अपलोड किया गया है, जिसे शिक्षक अभिभावकों के साथ साझा करेंगे। इसके अलावा, छात्रों को उनकी डायरी, टीएलएम किट, अभ्यास पुस्तिका और पाठ्यपुस्तकों की देखरेख के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। इससे हर बच्चे को एक समानशिक्षा मिल सकेगी।
पाठ्यपुस्तकों से सीखें सामाजिक जिम्मेदारियां
शिक्षकों को कहा गया है कि वे बच्चों को पाठ्यपुस्तकों के कवर और अंतिम पन्नों पर लिखे गए प्रमुख सामाजिक संदेश जैसे यातायात नियम, स्वच्छता और नागरिकता पर समझाएं। छुट्टियों के दौरान इन विषयों पर माता-पिता को भी चर्चा करने की अपील की गई है।
क्यों है ये पहल खास?
- गर्मी की छुट्टियों के बावजूद शिक्षण प्रक्रिया में निरंतरता बनी रहेगी।
- सरकारी स्कूलों में पहली बार इस स्तर पर संवाद की व्यवस्था की जा रही है।
- छात्रों की पढ़ाई और मानसिक विकास को लेकर स्कूल और परिवार के बीच समन्वय बढ़ेगा।
- अभिभावकों की भागीदारी बढ़ने से छात्रों की जिम्मेदारी और अनुशासन में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
यह पहल बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की शिक्षा को एक नई दिशा देने की दृष्टि से उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हम सभी को मिलकर इसे सफल बनाना होगा, जिससे न केवल छात्रों की शिक्षा बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र में एक सकारात्मक बदलाव आएगा। माता-पिता और शिक्षकों का यह सहयोग बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में सहायक होगा।